PKVY Yojana 2025 : किसानों को मिलेगा ₹31,500 प्रति हेक्टेयर का लाभ : जानिए PKVY योजना के तहत जैविक खेती के फायदे

PKVY Yojana 2025 : भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ आज भी लगभग 60% से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है। लेकिन बढ़ती रासायनिक खादों की लागत, मिट्टी की घटती उर्वरता और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं ने किसानों को जैविक खेती की ओर वापस लौटने के लिए प्रेरित किया है। इसी दिशा में सरकार ने किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए “परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY)” शुरू की है, जिसके तहत किसानों को ₹31,500 प्रति हेक्टेयर तक की आर्थिक सहायता दी जाती है।

PKVY योजना क्या है ?

परम्परागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana – PKVY) वर्ष 2015-16 में भारत सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को जैविक खेती (Organic Farming) अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना और रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों पर निर्भरता को कम करना है।

सरकार किसानों को समूह के रूप में जोड़कर उन्हें जैविक खेती के लिए आवश्यक प्रशिक्षण, खाद, बीज और प्रमाणन (Organic Certification) की सुविधा प्रदान करती है।


₹31,500 प्रति हेक्टेयर सहायता कैसे मिलती है ? PKVY Yojana 2025

इस योजना के तहत किसानों को तीन साल की अवधि में कुल ₹31,500 प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाती है। यह राशि निम्न प्रकार से वितरित की जाती है:

  1. पहला वर्ष: जैविक खेती की तैयारी, खाद बनाना, प्रशिक्षण एवं जैविक इनपुट्स पर खर्च।
  2. दूसरा वर्ष: जैविक फसल उत्पादन, प्रमाणन प्रक्रिया और विपणन की व्यवस्था।
  3. तीसरा वर्ष: उत्पाद की मार्केटिंग और ब्रांडिंग में सहायता।

किसानों को यह सहायता सीधे उनके बैंक खाते में DBT (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से दी जाती है।


PKVY योजना की मुख्य विशेषताएँ

  1. समूह आधारित खेती (Cluster Farming):
    किसानों को 20 हेक्टेयर के समूह में जोड़कर खेती कराई जाती है, ताकि सामूहिक रूप से प्रशिक्षण और मार्केटिंग आसान हो।
  2. जैविक प्रमाणन (Organic Certification):
    किसानों को जैविक उत्पादों के लिए PGS (Participatory Guarantee System) के तहत प्रमाणन दिलाया जाता है, जिससे उनके उत्पाद को बाज़ार में पहचान मिलती है।
  3. मार्केटिंग और ब्रांडिंग सहायता:
    किसानों को अपने उत्पाद को “Organic India”, “Jaivik Bharat” जैसे लेबल के तहत बेचने में मदद दी जाती है।
  4. जैविक इनपुट्स की सुविधा:
    गोबर खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जीवामृत, बीज उपचार आदि के लिए आर्थिक सहायता दी जाती है।
  5. मिट्टी की गुणवत्ता सुधार:
    लगातार जैविक खेती करने से मिट्टी में जीवाणुओं की वृद्धि होती है और भूमि की उर्वरता बढ़ती है।

जैविक खेती के फायदे

  1. मिट्टी की सेहत में सुधार:
    जैविक खाद और गोबर आधारित उर्वरकों से मिट्टी में जैविक पदार्थ बढ़ते हैं, जिससे वह उपजाऊ बनती है।
  2. कम लागत में अधिक मुनाफा:
    रासायनिक खाद और दवाइयों पर खर्च घटता है। साथ ही, जैविक उत्पादों की बाज़ार में कीमत अधिक मिलती है।
  3. मानव स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित:
    जैविक उत्पादों में रसायन नहीं होते, जिससे उपभोक्ताओं को शुद्ध और पोषक भोजन मिलता है।
  4. पर्यावरण की सुरक्षा:
    जैविक खेती से भूमि, जल और वायु प्रदूषण कम होता है।
  5. दीर्घकालिक लाभ:
    रासायनिक खेती की तुलना में जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है।

कौन कर सकता है आवेदन?

  • भारत का कोई भी किसान जो रासायनिक खादों की जगह जैविक खेती अपनाना चाहता है।
  • किसान को समूह आधारित खेती में भाग लेना होगा।
  • खेती की भूमि उसके नाम पर होनी चाहिए।
  • किसान के पास बैंक खाता और आधार कार्ड होना अनिवार्य है।

आवेदन प्रक्रिया (Application Process)

  1. ऑनलाइन आवेदन:
    • https://pgsindia-ncof.gov.in या राज्य कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन किया जा सकता है।
  2. ऑफलाइन आवेदन:
    • किसान अपने नजदीकी कृषि अधिकारी (Agriculture Officer) या कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) में जाकर फॉर्म भर सकते हैं।
  3. दस्तावेज़ आवश्यक:
    • आधार कार्ड
    • बैंक पासबुक
    • भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र
    • पासपोर्ट साइज फोटो

योजना से जुड़ी अतिरिक्त सुविधाएँ

  • किसानों को जैविक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल किया जाता है।
  • मार्केट लिंकिंग के लिए Farmer Producer Organizations (FPOs) की मदद दी जाती है।
  • कुछ राज्यों में जैविक मेले और प्रदर्शनियों का आयोजन भी होता है ताकि किसान अपने उत्पाद सीधे बेच सकें।

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